329 ipc in hindi
329 आईपीसी उद्धापित करने के लिए या अवेध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना – जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा की उपहत व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्धापित की जाए या उपहत व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई बात , जो अवेध हो या जिससे किसी बात का किया जाना सुकर होता हो , करने के लिए मजबूर किया जाए , वह आजीवन कारावास से , या दोनों में से किसी भांति के कारावास से ,जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी , दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words: अगर कोई व्यक्ति इस उद्देश्य से किसी को घोर उपहति [ Grivious Hurt ] पहुंचता है जिससे वह व्यक्ति ( यानि आरोपी ) उस पीड़ित व्यक्ति से या उसके किसी हितबद्ध ( Family Member’s या चाहने वाले या रिश्तेदार ) व्यक्ति से कोई संपत्ति या कोई मूल्यवान चीज प्रेरित (प्राप्त) कर सके या उससे पीड़ित व्यक्ति से कोई ऐसा कार्य करने को दबाव बनाता है जोकी अपराध या अवेध कार्य है और या उसके हितबद्ध व्यक्ति को ऐसा करने को मजबूर करता है जिससे वह आरोपी आसानी से वह प्राप्त कर सके जो वो करना चाहता है ! जेसे कि वह आरोपी कहता हो अगर आपने यह काम नही किया तो आपको नुकसान पहुंचा देंगे या उसके हिदबद्ध व्यक्ति को यह बोलकर कि अगर आपने बात नही मानी या कोई संपत्ति या कोई मूल्यवान कोई वस्तु मुझे (आरोपी) को नही दी तो पीड़ित को नुकसान पहुंचा देंगे और ऐसा करके वह आरोपी कोई संपत्ति या कोई मूल्यवान कोई वस्तु प्राप्त करता है तो एस धारा का अपराध करता है
टिप्पणी
संपत्ति उद्धापित करने के लिए या अवेध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है इसके अनुसार जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा की उपहत व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्धापित की जाए या उपहत व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई बात , जो अवेध हो या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो , करने के लिए मजबूर किया जाए , वह आजीवन कारावास से , या दस वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से , दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । यह धारा संहिता की धारा 327 के समान पर उससे अधिक गंभीर है । इसके अंतर्गत अभियुक्त के द्वारा स्वेच्छया घोर उपहति कारित किया जाना आवश्यक है । घोर उपहति कारित किए जाने का प्रयोजन या तो उपहत व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्धापित करना होना चाहिए , या उपहत व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई बात , जो अवेध हो या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो , करने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए । शब्दों ‘ स्वेच्छया ’ , ‘मूल्यवान प्रतिभूति’ और ‘अवेध’ को क्रमश: धाराओ 39,30 और 33 में परिभाषित किया गया है , यह धारा प्राथमिक रूप से डकेतों , लुटेरों और ऐसे व्यक्तियों के द्वरा संपत्ति आदि उद्धापित किए जाने को या अवेध कार्य करने को बाध्य करने को दंडित करती है ।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय , अजमानतीय और आशमनीय है , और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।