387 IPC IN HINDI

387 IPC Explanation In Kanoon Ki Roshni Mein Words जो कोई उद्दापन(Extortion) करने के प्रत्यन करते समय किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या उससे संम्बध रखने वाले किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति (grievous hurt 320 ipc देखे )के डर में डालेगा या डराने का प्रयास करेगा, वह दंडित किया जाएगा।

Note निम्नलिखित कानूनी परिभाषा भी देखें?।

                                                                         

387 ipc  उद्दापन करने के लिए किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालना- जो कोई उद्दापन करने के लिए किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालेगा या भय में डालने का प्रयत्न करेगा , वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

संज्ञेय ,

अजमानतीय,

अशमनीय है ,

और यह प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।

टिप्पणी

कोई उद्दापन करने के लिए किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति के भय में डालेगा सा डालने का प्रयत्न करेगा , वह सात वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा , और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । इस धारा में उद्यापन करने के लिए शब्दों का प्रयोग यह दर्शाता है कि उद्दापन कारित करना आवश्यक नहीं है । अपराधी के द्वारा किसी व्यक्ति को या तो स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति के भय में डाला जाना चाहिये या डालने का प्रयत्न किया जाना चाहिए । यह अपराध धारा 393 के अन्तर्गत लूट के प्रयत्न के अपराध से भिन्न है । धारा 387 के अन्तर्गत भय मृत्यु या घोर उपहति का होना चाहिये , जबकि धारा 393 के अन्तर्गत भव तत्काल मृत्यु या तत्काल उपहति या तत्काल सदोष अवरोध का होना चाहिये जिसके अधीन भय में डाले गए व्यक्ति को उद्दापन की जाने वाली चीज उसी समय और वहाँ ही परिदत्त करने के लिए उत्प्रेरित किया जाता है । अतः जहाँ अभियुक्त ने परिवादी को एक धमकी भरा यह पत्र लिखा है कि उसके और उसके शिशु के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए वह फिरौती की सोलह हजार रुपये की राशि चुकाए , अभिनिर्धारित किया गया कि अभियुक्त ने धारा 387 के अधीन अपराध किया । एक अन्य मामले में यह अभिनिर्धारित किया गया कि धन उद्दापित करने के लिए आत्महत्या के प्रयत्न का बहाना करना इस धारा के अधीन दंडनीय होगा ।

 

 

 

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