धारा 102 IPC शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना – शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ हो जाता है, जब अपराध करने के प्रयत्न या धमकी से शरीर के संकट की युक्तियुक्त आशंका पैदा
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